Saturday, July 13, 2019

क्या होता है सरवाइकल कैंसर


ज्यादातर कैंसर की तरह ही सरवाइकल कैंसर की भी शुरूआत सेल से ही होती है। गर्भाशय का निचला हिस्सा धीरे-धीरे कंट्रोल से बाहर होने लगता है। जिसके बाद नए सेल तेजी से विकसित होते हैं और गर्भाशय ग्रीवा में ट्यूमर आकार ले लेता है।

Image result for cervical cancer

पूरी दुनिया में सरवाइकल कैसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया गया है। हालांकि सामान्य पेप टेस्ट के जरिए इसकी जानकारी शुरूआती स्टेज में हो सकती है। इसके अलावा सरवाइकल कैंसर को रोकने के कई उपाय हैं, जिसकी वजह से इसके केस में कमी आई है।

सरवाइकल कैंसर कितना कॉमन है


सरवाइकल कैंसर बहुत ज्यादा ही कॉमन है, खासतौर पर महिलाओं में ये खूब लोकप्रिय है। ये मरीज को किसी भी उम्र में अपना शिकार बना लेता है, इसके रिस्क फैक्टर को कम करके इससे बचाव जा सकता है। कृपया अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

इसके लक्षण जानें


शुरूआती स्टेज में किसी भी कैंसर का लक्षण तबतक समझ में नहीं आता है, जबतक ट्यूमर नहीं विकसित हो जाता है। ये महिलाओं के ऑर्गन के पास उभरता है और स्वस्थ सेल को खराब करता है।

योनि से असामान्य खून का आना, मासिक धर्म के बीच में, लंबे समय तक मासिक धर्म का बरकरार रहना, सेक्स के बाद या दौरान, मासिक धर्म के बाद, मल त्याग करने के दौरान या फिर खोक संबन्धी जांच(पेल्विक परीक्षण) के दौरान खून का आना भी सरवाइकल कैंसर का लक्षण है।

उदर के निचले हिस्से दर्द होना, सेक्स करने के दौरान दर्द होना, योनिश्राव असामान्य या उसमें खून न निकलना भी इस बीमारी का लक्षण है।

इसके अलावा अन्य परिस्थितियों में जैसे इंफेक्शन की वजह से भी इस तरह के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि चीजें हाथ से निकलें न उससे पहले इसके लक्षण का पता चलते ही जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लें।

वैसे अगर सही मायने में स्वस्थ व खुशहाल रहना है, तो नियमित रूप से पेप टेस्ट और पेल्विक परीक्षण कराते रहें। क्योंकि ऐसे भी लक्षण हैं, जिनका जिक्र उपरोक्त में नहीं है, इसलिए अगर कोई समस्या होती है तो डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।

डॉक्टर से कब मिलें


यदि ऊपर दिए गए लक्षणों में आपको कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है या इसके अलावा कोई और सवाल हो तो अपने डॉक्टर से फौरन सलाह लें। क्योंकि हर किसी का शरीर अलग व्यवहार करता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह सर्वश्रेष्ठ होती है।

सरवाइकल कैंसर के कारण


सरवाइकल कैंसर के लगभग सभी केस में मानव जनित पेपिलोमावायरस या एचपीवी ही मुख्य वजह होता है। ये वायरस दो व्यक्तियों के यौन संबन्ध बनाने के दौरान ट्रांसपर हो जाता है। यूं तो तकरीबन 100 तरह के सरवाइकल कैंसर होते हैं, लेकिन सभी नुकसानदायक नहीं होते हैं।

वास्तव में जीवन के किसी न किसी मोड़ पर दो वयस्क एचपीवी वायरस के संपर्क में आते हैं। लेकिन कुछ एचपीवी से कोई नुकसान नहीं होता है, जबकि कुछ से इसके लक्षण दिखने लगते हैं और सरवाइकल कैंसर को विकसित करते हैं। एचपीवी 16 और एचपीवी 18 की वजह से 70 फीसदी केस सरवाइकल कैंसर के जिम्मेदार होते हैं। हालांकि इनके लक्षण जल्दी पता नहीं चलते हैं और बहुत सी औरतों को इसका आभास भी नहीं होता है। 

एचपीवी पेप टेस्ट से आसानी से पता किया जा सकता है। यही वजह है कि पेप टेस्ट सरवाइकल कैंसर में सबसे ज्यादा अहम है, पेप टेस्ट सरवाइकल सेल को कैंसर से पहले खोज निकालता। अगर आप इन सेल में बदलाव महसूस करते हैं, तो सरवाइकल कैंसर से बच सकते हैं।