जब हम रूबरू हुए दिव्या मल्होत्रा से
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मनोज:- कैसा रहा अब तक की जिन्दगी का सफर?
दिव्या:- अच्छा रहा जो चाहिए मिला परिवार और माता-पिता का प्यार जो
मुझे बहुत जरूरी था।
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मनोज:- कब से दिमाग में ये बात आयी की मीडिया में जाना है?
दिव्या:- 10+2 के बाद मुझे लगा कि मैं मीडिया की ही पढ़ार्इ करूँ लेकिन घर की इजाजत न मिलने से बी0काम के बाद मुझे आना हुआ।
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मनोज:-आर0 जे0 बनने का सपना है आपका क्या कुछ कर रही हैं? इसके
दिव्या:- अभी तो कुछ नहीं पर कोशिश कर रही हँ।
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मनोज:- मीडिया में जाने का इरादा और आर0 जे0 बनना एक अच्छी समझ की जरूरत होनी चाहिए गीत और संगीत तथा गासिप्स की क्या करती है इसके लिए?
दिव्या:- टी0वी0 देखना मुझे पसन्द है और हर तरह के गाने सुनाती हंू और हर तरह के गाने सुनती हूँ, जिसमें एक गाना बेहद खास और मेरे दिल के करीब है जो है तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी हैरान हूँ मैं।
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मनोज:- मीडिया में आने का मकसद?
दिव्या:- कुछ अलग और अच्छा करने का सपना है मेरा साथ पैसा नाम कमाकर अपने परिवार को प्राउड फील करवाना चाहती हूँ।
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मनोज:- काफी खमोस रहती हैं क्या कारण है?
दिव्या:- खमोश नहीं रहती पर पहले किसी से बान नहीं करती ओर कोशिश कर रही हूँ कि मैं इन सब चीजों को दूर कर पाऊं।
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मनोज:- मनोज स्कूटी तेज चलाती है आप क्यों? मैं कहाँ तक सही हूँ?
दिव्या:- फार जाय और मजा आता हैं। रफ्तार से खेलना। आप सहीं हैं।
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मनोज:- कितना इत्तेफाक रखती है आज की ताजातरीन घटनाओं से खासकर
एक लड़की होने के नाते क्या लगता ह
दिव्या:-गुस्सा आता है और लड़कियों को लेकर जो फ्रीडम की बात होतीहै उससे समाजका दोगलापन जाहिर होता है। जिस देश में लक्ष्मी, दुर्गा और मदर टरेसा जैसी सित्रयों को देवी माना जाता है वहां ऐसे घाटिया कांड की उम्मीद नहीं थी।
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मनोज:- जिन्दगी जीने की कैसी तमन्ना है?
दिव्या:- अपनी शर्तों पर।
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मनोज:-कौन है आपका आइडियल ? सिंद्वात क्या है?
दिव्या:-मेरी मां और मै थोड़ी जिददी हूँ और मेरे अपने नियम है।
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मनोज:- क्लासमें दिव्या सूरी से आपकी बहुत पटती है क्या खास है इस दोस्ती में?
दिव्या:- हम दोनों का नाम सेम है और सोच भी मिलती है एक दूसरे से साथ ही विश्वास भी है। मुझे उसकी बात करने की स्टाइल बहुत पसन्द है।
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मनोज:- रियल लाइफ और सपनों की दुनिया में क्या फर्क रखती है या दिव्या:- सपने-सपने होते हैं लेकिन सपने मोटिवेट करते हैं हमें कि हम अपनी जिन्दगी कुछ ऐसा करें जिससे खुद को प्राउड हो साथ ही अपनी जिन्दगी भी हसीन हो।
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मनोज:- फेवरेट एक्टर एक्टे्रस?
दिव्या:- मैं सिंपलसिटी में विश्वास लेकिन नयी चीजों का विरोध नहीं करती हूँ। जो चल रहा है सही है।
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मनोज:- कौन से शौक हैं जो अभी पूरे नहीं हुए और आपका बड़ा मन है।
दिव्या:- मैं ज्यादा घूमी नहीं हूँ और अभी तक पूरा लखनऊ भी नहीं धूमी हूँ तो मेरा शोक है कि मैं घूमू जितना हो सके मैं घूम लूँ।
मनोज:-धन्यवाद! आपको और आपका भविष्य सुन्दर हो।