Tuesday, May 27, 2014

भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी .....


जैसा कि १६ मई को १६वीं लोकसभा का परिणाम आ चुका है और देश कि जनता ने अपना नेता भी चुन लिया है और वो नेता हैं गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी . जो अब देश की कमान संभालेगे . भारी  संख्या में लोकमत जुटाकर उन्हें सत्ता हासिल हुई . पिछले ३० वर्ष का रिकॉर्ड तोड़कर उन्होंने पूर्ण बहुमत हासिल किया है. जो अबतक किसी गैर कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी जीत है . यूँ तो बीजेपी में दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं की फ़ौज है , लेकिन इस समय बीजेपी में मोदी जैसा कद किसी भी नेता का नही है . विपक्ष और मीडिया  द्वारा उन्हें  बार बार गुजरात दंगों की वजह से निशाने पर रखता रहा है.  पर  वो असहज तो हुए परन्तु उन्होंने धैर्य बनाये रखा .सुप्रीम कोर्ट से मिले क्लीन चिट और सीबीआई द्वारा उनके के खिलाफ कोई सुबूत न मिलने की वजह से वो कुछ हद तक इस दंगे से अपना पीछा छुड़ा पाने में कामयाब रहे. माना जाता है इस चुनाव में प्रत्याशी कम मोदी ज्यादा लोकप्रिय थे और जनता ने मोदी को वोट दिया है . मोदी लहर पूरे देश में थी और मोदी ने रिकॉर्ड रैली करके इस लहर को भुना भी लिया है और अब जब वो देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं , जो काफी भव्य और ऐतिहासिक होने वाला है . सार्क देशों के राष्ट्र अध्यक्ष उनके शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे . थोड़ी न नुकुर के बाद इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री भी शरीक होंगे जो मोदी द्वारा फेंका गया पकिस्तान की तरफ  पहला पत्ता है . मोदी ने गुजरात का विकास किया है  इसका लोहा दुनिया और देश भी मानता है और इस चुनाव में मोदी को ज्यादा वोट विकास के मुद्दे की वजह से मिले हैं . युवा ,गरीब और महिलाओं को बड़ी उम्मीदे हैं मोदी सरकार से और मुद्दे सबसे जरूरी हैं जिन्हें मोदी को पूरा करना है . दिल्ली सल्तनत और गुजरात सल्तनत में बड़ा अंतर है . यहाँ पूरे देश की आशा भरी निगाहें आपकी तरफ देख रही होती हैं .जिन्हें पूरा करने के लिए मोदी को जैसी कथनी वैसी करनी भी रखनी  होगी . पूरे देश को  बड़ी उम्मीद है मोदी से और इसलिए इतनी भारी मात्रा में उन्हें जनमत भी मिला है . शिक्षा , बेरोजगारी , स्वास्थ और गरीबी देश की विकट समस्याओं में से कुछ हैं जिन्हें मोदी को हरहाल में पूरा करना है .    जो उनका स्लोगन था अबकी बार मोदी सरकार उसको उन्हें साकार करने का जिम्मा जनता ने उन्हें सौंप दिया है . जैसा सपोर्ट और जैसा माहौल उन्हें चाहिए था वो उन्हें बखूबी मिल गया न तो मजबूत विपक्ष है और न ही सरकार गिरने का डर. तो ये दोनों चीजे उन्हें कभी परेशां नही करेंगी . बस अब उन्हें अच्छे दिन लाने हैं . पूरा देश मानता है की नरेन्द्र मोदी एक कुशल राजनेता हैं ,शायद इसीलिए उन्होंने मंत्रालय की संख्या भी कम कर दी है . जहाँ लोग मनमोहन सिंह को कमजोर और लाचार प्रधानमंत्री मानते थे तो वहीं मोदी को मजबूत और फैसले लेना वाला माना जाता है. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में वो चीन के कई दौरे कर चुके हैं और ये भी माना जाता है की वो चीन से काफी प्रेरित हैं ..तो अब समय आ गया है , देश भी तैयार है. अबकी बार मोदी सरकार ......

Thursday, May 22, 2014

गाँव कनेक्शन .....
भारत एक विकासशील देश जिसकी ७० फीसदी आबादी अभी भी गांवों में रहती है . जहाँ सुबह मुर्गे की बांग से होती है , तो दोपहर पेड़ों की छाँव में बीतती है  और शाम ठंडी हवा और जुगनू की रौशनी से होती है . गावं में  रहने वाले ज्यादातर  लोग खेती  किसानी का काम करते है. यहाँ लोग अपने सपने की जुताई करते हैं , बीज उस सपने का आधार  होता है , तो खाद और पानी उसकी जान होते हैं . निराई – गुड़ाई और रखरखाव एक किसान की मोहब्बत होती है जो उसे लगातार अपने फ़सल से जोड़े  रखता है . ये सपना और प्यार अपने अंजाम पर पहुँचता है , जब हरी भरी फसल लहलहा उठती है और किसान झूम उठता है .तो ये बात थी एक ग्रामीण के सपने की . अब हम बात करते हैं गाँव की . खेत , तालाब, फसल , पशु –पक्षी जैसे गाय-भैंस ,हल ,कुदाल , ट्रेक्टर और हरे भरे पेड़ – पौधे मिलकर बना कुनबा गाँव कहलाता है .. यूँ तो दुनिया के लगभग हर देश में गाँव होते होंगे , लेकिन गांवों का देश भारत है . चिड़ियों की चहचाहट ,ठंडी हवा की छुवन, ताज़े फल और सब्जियां , गाय – भैंस का ताज़ा दूध , मोर की तान पर बारिश की उम्मीद , बिरहा गाता हुआ किसान जब अपने खेत में काट रहा होता है धान और वहीं खेत में उसकी पत्नी उसके लिए  गुड़ और लोटा भर पानी लेकर जाती है तो समझो ये गाँव का दृश्य है . ठंडियों में अलाव के किनारे जब महफ़िल सज जाये और अपनी – अपनी फसलों और पशुओं का बखान छिड़ जाये तो समझो ये गाँव की चौपाल है . चैत की दोपहरी जब बरगद या किसी बाग़ में बीते तो समझिये आप गाँव में हैं . तो ये रही गाँव की बात , स्वाभिमान , मेहनत और सम्मान हमारे देश के किसानो की खूबियाँ हैं और वो इससे कभी समझौता नही करता है .
बात जब लोकतंत्र की आती है तो ये लोग इसमें भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं . देश के किसी भी चुनाव में सबसे ज्यादा वोट पोल होता है तो वो ग्रामीण भारत से होता है , शहर के लोग उस दिन छुट्टी मनाते हैं और इनके लिए ये दिन किसी पर्व से कम नही होता है .पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का नारा भी था जय जवान जय जय किसान , जो आज भी सार्थक है .. तो भारत बसता है गांवों में और हम जितने भारतवासी हैं कहीं न कहीं गांवों से जुड़े हैं , तो हम सबका बनता है गाँव कनेक्शन .....   



मनोज तिवारी 

Sunday, May 18, 2014

आखिरी भेंट..........


कहते हैं समय रुकता नही है और कुछ भी हो जाये कभी रिवाइंड नही होता है , कब क्या हो जाये इसका कोई ठिकाना भी नही है वक्त अपनी रफ़्तार से चलता रहता है और हमे जीवन में पीछे का कुछ भी सही करने का मौका नही देता है.. बचपन के बाद जवानी और बुढ़ापा अपने तय वक्त पर जरूर आते  हैं .. ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत वक्त माना जाता है वो है छात्र जीवन और जब ये अपने चरम पर हमारा साथ छोड़ता है तो मानो हम सबकुछ गंवा रहे होते है, कैंटीन,डिपार्टमेंट की सीढ़ी, यूनिवर्सिटी कैंपस की हर वो चीज़ पेड़ ,वाटर कूलर ,स्टाफ  और  क्लास की सीट वो चाहे आगे हम बैठते हो या पीछे हमारा उससे भी रिश्ता बन चूका होता है सही मायने प्यार हो जाता है हमे उन सारी चीजों जिनसे हम रोजाना रूबरू होते हैं .. अच्छा इन सब में सबसे महत्वपूर्ण हमारे टीचर और छात्र मित्र होते है , और उनसे प्यार, नफरत और कम्पटीशन सब होता है ... लेकिन जब हम एक दुसरे से जुदा हो रहे होते हैं तब सिर्फ उन्हें हम मिस कर  रहे होते हैं  न हमे उनसे कोई शिकवा होता है न ही कोई गिला दिल में वो जगह बना चुके होते हैं और हम उन्हें खोना नही चाहते हैं लेकिन वक्त की इजाजत नही है की अब हम और ज्यादा एक दुसरे के साथ बिता सके ... एक नवीन परिवार जिसे हम २ साल में बनाते हैं उसे बिखरता देख आँखों में आंसू भले न आये

 लेकिन दिल में जैसे व्याकुलता फ़ैल जाती  है , मीठा दर्द जिसे सिर्फ अंदर दबा देना है ...  
थे गिले बहुत , थी शिकायत बहुत , थी नफरत मन में तुझको लेकर बहुत ....
पर आज क्या ये हुआ जब तू जा रहा है , तो मोहब्बत जाग उठी है ....



अब शायद हम मिले हो सकता है  मिले तो टुकडो में मिले ऐसे कभी मिलना नही होगा जिस तरह हम साथ में मिलते थे चाहे वो मजबूरी रहती थी की हमे कॉलेज जाना है ... अब सबकी मंजिल अलग अलग है , हर कोई अब जीवन के उस संघर्ष जा पहुंचा जहाँ से हमारी दुनिया बदल चुकी होगी हम नौकरी , घर –परिवार इत्यादि चीजों वयस्त हो जायेंगे ... रह जायंगी तो सिर्फ यादें जिन्हें हम सिर्फ दिलों में समेटते फिरेंगे ... खूबसूरत जीवन हो , नये पथ में नयापन हो , खुल जायें वो रास्ते जिनके लिए घर से निकले तुम ...... शुभकामनाएँ...... 


Wednesday, May 14, 2014

आप फिर धोखा खा जायेंगे जब नोचकर आपका जिस्म वो आगे बढ़ जायेंगे ,
तन – मन में अथाह  दर्द होगा  समुद्र की गहराई जैसा आभास होगा ,
इसबार मौत पक्की है जीवन से मुक्ति पक्की है ,
क्या तुम तैयार हो मरने के लिए अगर हाँ तो कूद पड़ो ,
मैं नही रोकता तुम्हे क्यूंकि तुम्हे अब मर ही जाना चाहिए ,
तुम्हे धोखा और प्यार का फ़र्क नही पता तुम सिर्फ भटकती हो ,
सिर्फ अपने मन का ही नही होता इस दुनिया में कुछ प्रकृति का असर जरूर होता है ,
तुम कितना भी बनाओ रेत का महल तेज हवा उसे उड़ा ही ले जाएगी ,
वक्त से पहले और कर्म से ज्यादा न मिला है किसी को न मिलेगा तुम्ही को ,
हाँ अगर जीना है तुम्हे तो छोड़ो बीती को और मानो की अच्छा ही हुआ ,
जो हुआ उसे भूलकर अपनी ताक़त बना लो उसे जीतकर ,
जो है पास में जो है साथ में न समझो उसे वो बेकार है ,
क्यूंकि कभी तुमने सोचा नही उसे कभी गौर से देखा तक नही,
समझा हमेशा बड़ा सस्ता है ये  हरवक्त साथ में बना रहता है,
बस भूल कर दी कम बोली लगाकर गच्चा खा गयी महंगा खरीदकर,
पैकेजिंग अच्छी किसी चीज के अच्छे होने की गारंटी नही होते ,
गहराई से सोचने पर अक्सर फैसले गलत साबित होते हैं ,
मगर समझ गहरी होने से हम गलत फैसलों को सही साबित कर सकते हैं ,

सही वक्त सही चोट मार कर देखो तो सही बंजर भी पानी उगल देगी ........     

Thursday, May 8, 2014

मिट्टी का घड़ा प्राकृतिक फ्रिज

जैसे – जैसे गर्मी बढती जाएगी हमारी प्यास बढती जाएगी , और हम पानी पल –पल पीने लगते हैं. जहाँ हम पानी को ठंडा करने के लिए उसमे बर्फ और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं , पर शायद इनके द्वारा ठंडा किया हुआ पानी हमारा प्यास नही बुझा पाता है क्यूंकि बर्फ तह्शीर गर्म होती है . जिसकी वजह से हमारी प्यास जस की तस  बनी रहती है . लेकिन बर्फ या तो पहाड़ो पर है या फिर जहाँ बिजली  की उचित व्यवस्था है . फ्रिज तो पूरी तरह बिजली वालो की खातिर है . अब बात किया जाये अगर जिनके पास न बर्फ को खरीदने का पैसा है या न फ्रिज खरीदने का और अगर हो भी तो बिजली अगर नही है तो वो क्या करे ? तो वो खरीदे एक प्राकृतिक फ्रिज जिससे प्यास भी बुझेगी और बिजली भी बचेगी देश का सबसे पुराना देशी नुस्खा मिट्टी का घड़ा , इसका पानी भी महकता है साथ ही साथ प्यास को भी खत्म करता है लेकिन लोग इसे अपने स्टेटस से जब जोड़ लेते हैं तो इसकी सार्थकता कम हो जाती है . अभी एक दोस्त को कल जब बिसलेरी की ठंडी बोतल थमाया तो उसने कहा की ये पानी तो ठंडा है पर इससे प्यास नही बुझती . फिर उसने भी घड़े की तारीफ की थी , वाकई में घड़े का पानी प्यास बुझाता है ये सॉफ्ट ड्रिंक वगैरह सब बकवास हैं और ये सिर्फ अपने प्रचारक की प्यास बुझाते हैं . हालाँकि मैं यहाँ किसी को न तो इसे पीने को मना क्र रहा हूँ और न खुद कसम खा रहा हूँ की आज से मैं इसे नही पियूँगा . रही बात घड़े की बचपन से ही मैं इसका पानी पीता आया हूँ , हमारी दादी हर साल अपनी चारों बहुओं के लिए एक – एक घड़ा खरीद लेती थी और इसके पैसा नही अनाज देना होता था  .दादी की समकक्ष  पीढ़ी के बाद हम लोगो के समकक्ष की पीढ़ी ने इस काम को लगभग अब  बंद कर  दिया है .. शायद ये काम अब उतना उन्हें आर्थिक सहयोग नही पहुंचा सकता जितनी उन्हें जरुरत है.. लेकिन घड़े की लोकप्रियता आज भी है और अब ये शहरों या छोटे कस्बों में ठेले या फूटपाथ पर मिल जाता है .. अब अनाज नही इसके बदले पैसा देना होता है फ़र्क इतना सा हो गया है .. शहरों में घड़े आजकल हॉस्टल या रूम लेकर रहने वाले  बाहरी लड़के और स्लुम्स में रहने वाले  खूब खरीदते है . ये उनके लिए फ्रिज का काम करता है ...   तो आप कब ले  रहे हैं ये प्राकृतिक फ्रिज जो सिर्फ आपके घर एक कोना लेगा और चुपचाप आपका प्यास बुझाता रहेगा बिजली हो या न हो .... 

Friday, May 2, 2014

बाटी - चोखा

लखनऊ का तापमान आजकल 43 डिग्री सेल्सिउस छु रहा है मानो पूरा शहर गर्म तवा हो गया है , इस भीषण गर्मी में हमे बाहर के खाने पर ही जीवन यापन करना होता है क्यूंकि परिवार के लोग शादी – विवाह में गाँव गये हुए हैं ... तो अकेले खाना इस मौसम में बनाना समझिये डबल तवे का इन्तेजाम करना हुआ . साथ ही आजकल परीक्षा की वजह से खाना बाहर खा लेना ज्यादा सही रहता है .. लेकिन ये खाने सिर्फ पेट भरने के लिए होते हैं और ऐसा नही हम अकेले बाहर खाते हैं हमारे जैसे बहुत सारे मित्र इन होटलों का चक्कर मारते है क्यूंकि उनकी मजबूरी हमारे जैसी ही है ..  ऐसे में एक ऐसा खाना जो हमे शुद्धता से मिलता है और हमारी धरती की खुशबू भी उसमे निहित होती है , वो है बाटी चोखा ... बाटी चोखा ऐसा नही सिर्फ पूर्वांचल में ही प्रसिद्ध है ये हमारे देवीपाटन मंडल में भी बहुत ही प्रसिद्ध है और सत्तू के बाद बाटी चोखा सबसे बेहतरीन खानों में आता है .. ये काफी शुद्ध और पेट भराऊ भी होता है .. लखनऊ में तो इसका हर जगह चलन है और अब तो ये काफी फेमस हो चला है .. कुछ तो पूर्वांचल के लोगों ने तो इसको अपना बिज़नस भी बना लिया है जैसे बागी बलिया बात चोखा नाम से एक मोबाइल पिच्कुप जो जगह जगह जाकर बाटी चोखा बेचता है और एक ब्रांड बनकर उभरा है .. लेकिन ज्यादा अपने मोहल्ले वालेदूकान से ही खाए हैं और मुगे उसका ज्यादा अच्छा भी लगता वनस्पति के बागी बलिया वाले से .. मेरी वजह कुछ मेरे ख़ास दोस्त भी जो कभी इसकी तरफ हेय दृष्टि से देखते आज बढे चाव से खाते हैं .. कुछ मुझसे मंगाते हैं तो कुछ साथ में आकर खाते हैं .. बाटी चोखा बनाना आसान काम नही इसमें आग के किनारे बहुत तपना पढता है , आटे की लोई में सत्तू भरकर पहले सारी बाटी बना लेते हैं, चोखे के लिए आलू , टमाटर और बैंगन को भून कर मिर्च नमक डालकर फेंट लेते हैं .. और आग को एक बढ़ी सी कढाई में तैयार शायद ये सबसे मुश्किल काम होता है .. गोबर के उपले से तैयार आग में फिर डाल देते हैं और फिर तैयार हो जाती है लाल लाल बाटी .. ये सब लगभग २ से ३ घंटे का काम है .. लेकिन जब हम बाटी के साथ गन्ने का जूस खाते और पीते हैं , तो इस गर्मी को ये दोनों मिलकर काफी हद तक दूर कर  देते हैं ... ये दोनों चीजे मसाले से दूर होती हिं जो गर्मी से तो बचाती ही हैं साथ ही साथ हमे ताजगी का एहसास भी कराती हैं ... तो आप कब खा रहे हैं ...