क्रिकेट के दीवाने इस देश में किसी अन्य
खेल को उतना तवज्जो नही मिलती चाहे वो दुनिया का सबसे चहेता खेल फुटबॉल ही क्यूँ न
हो. लेकिन जब से फुटबॉल के लीग संस्करण की शुरुआत इंडियन सुपरलीग के तौर पर हुई है
तब से मानो सोये हुए भारतीय फुटबॉल प्रेमी जग गये हों. ये तो रही बात फुटबॉल के
प्रेमियों की इस खेल के प्रति झुकाव की. लेकिन अब जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं
वह है आईएसएल से भारतीय फुटबॉल के जीर्नौद्धार की.
जैसा की भारतीय फुटबॉल टीम दुनिया में
उतनी जानी मानी नही है या ये कहें कि हम इस खेल में नौसिखिया हैं. लेकिन एशिया
महाद्वीप में अन्य टीमों के मुकाबले हमारी पोजीशन थोड़ी ठीक थक ही है. आईएसएल की
शुरुआत पिछले साल आईपीएल के तर्ज पर शुरू हुई थी. बॉलीवुड और क्रिकेट बड़े
खिलाड़ियों और कॉर्पोरेट घरानों ने इसमें अपनी-अपनी टीमें खरीदी हैं.
सचिन, गांगुली, धोनी क्रिकेट से और अभिषेक
बच्चन, ऋतिक रोशन जैसे सितारों ने इसमें टीम खरीदकर इसे लोकप्रिय बनाने में अहम
भूमिका निभाई है.
आईएसएल में बहुत सारे विदेशी खिलाड़ी भी
भाग लेते हैं जिसकी वजह से भारतीय फुटबॉल का नाम पूरी दुनिया में हुआ है. विदेशी
खिलाडियों के शामिल होने से भारत के उभरते हुए युवा खिलाड़ियों को भविष्य में अच्छा
खिलाड़ी बनने में मदद मिलेगी. साथ ही बहुत सारे कोचिंग स्टाफ भी विदेशी हैं जो
बड़े-बड़े क्लबों में कोच की भूमिका निभा रहे हैं. उनके आईएसएल में आने से देश नए
खिलाडियों विश्वस्तर की जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी.
विदेशी खिलाडियों में क्लू उचे, हेल्डर
पोस्टीगा, गुस्तावो डॉस सैंटॉस, इलानो और रोबर्टो कार्लोस जैसे बेहतरीन
खिलाड़ी अब इस लीग से जुड़े हुए हैं. इनके साथ में भारतीय खिलाडियों को बहुत कुछ
सीखने को मिलेगा. जो शायद आईएसएल के बगैर सम्भव न हो पाता.
कोचिंग और अन्य स्टाफ में जीको जो, डेविड
प्लाट, सीजर फ्लेसिय्स और पीटर टेलर जैसे कोचिंग स्टाफ की मौजूदगी से इसका सीधा
फायदा भारतीय खिलाड़ियों को होगा.
पहले सीजन में मिली अपार सफलता से आईएसएल
अपने दुसरे सीजन में भी काफी रोमांचक मुकाबलों के होने से इसका व्यवसायीकरण काफी
बड़ गया है. जो इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद जगाता है. इससे भारतीय फुटबॉल का
भविष्य और चमकेगा और ये किसी सपने के हकीकत होने से कम नही होगा. जो हर घर में
फुटबॉल पहुंचा सकता है.
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